लेखनी कहानी -24-Nov-2022 (यादों के झरोखे से :-भाग 28)
कुछ दिन पश्चात् वह शिष्या भी मुझे मिल गई। वह मेरे घर के पीछे ही रहती थी। अतः एक दिन जब मैं छत पर गई तब वह मुझे दिखाई दी। मैंने उससे उसके उपहार के विषय में पूछा तो उसने उत्तर दिया कि उसकी सखी ने उसे वह दे दिया था। जब मैंने उससे उस दिन विद्यालय ना आने का कारण पूछा तो वह कहने लगी कि मेम आप अब विद्यालय क्यों नहीं आतीं? आप के बिना मुझे विद्यालय में जाना अच्छा नहीं लगता। मुझे पढ़ने में भी मज़ा नहीं आता। आप आईए ना विद्यालय। मैंने उसे बताया की अब मैं उसके विद्यालय में नहीं आउंगी, क्योंकि मेरी इंटर्नशिप पूरी हो चुकी है। अतः कोई ओर मेम उन्हें पढ़ाने आएंगी तो तुम रोज़ विद्यालय कया करो और मन लगाकर पढ़ा करो। उसने बताया कि उसे मेरा उपहार बेहद पसंद आया। यह जानकर मुझे अति प्रसन्नता हुई कि बच्चों को मेरे उपहार पसंद आए।
कुछ दिन पश्चात् हमारी बी.एड. की परीक्षाएं भी पूरी हो गईं। अतः फाइनल लेसन का दिन भी आ गया। उससे तीन दिन पूर्व हमारी अध्यापिका ने हमें लेसन किस प्रकार देना है, ये सब बातें और तौर-तरीके बता दिए थे। अब फाइनल लेसन के दिन मैं और मेरी सभी सहपाठी कॉलेज पहुंचे। हृदय की गति कुछ हद तक बढ़ी। परंतु, मेम के बताए अनुसार तैयारी करने के हौसले ने उसे नियंत्रित कर दिया। मेरा मॉडल पुष्प की संरचना पर आधारित था। यह एक वर्किंग मॉडल था। यह मैंने इस प्रकार बनाया था कि इसमें पुष्प के सभी हिस्से अलग हो जाया करते थे। जिससे विद्यार्थियों को समझने में सरलता हो।इसी विषय पर मैंने एक चार्ट भी बनाया था और रॉलिंग बोर्ड पर भी कुछ महत्वपूर्ण बिंदु उसी से संबंधित मैंने लिख लिए थे। ताकि मैं बेहतर प्रदर्शन दे पाऊं।
परीक्षक सर बेहद स्ट्रिक्ट थे, सभी में कोई ना कोई कमी निकाल ही रहे थे। चूंकि मेरा नंबर पीछे था, तो मैंने और अच्छे से तैयारी कर ली थी। अब सर ने मेरा नाम लिया तो मैं अपनी फाइल्स सिर को देकर, अपने स्थान पर प्रदर्शन हेतु पहुंच गई। जैसे ही मैंने मॉडल दिखाया। वहीं से परीक्षक सर ने वाह वाही शुरू कर दी। मेरा हौंसला और बढ़ा। मैंने उसको जैसा हमारी मेम ने हमें गाइड किया था उसी प्रकार प्रदर्शित किया। परीक्षक सर बेहद प्रसन्न हुए और मेरा मॉडल अलग से रख लिया। अतः हमारी शिक्षिका को उसे कॉलेज में सजाने हेतु कहा। मुझे देखकर सर ने पूछा यह अपने बनाया है या किसी से बनवाया है। मैंने उत्तर इया सर ऐसा मत कहिए कल रात को दो बजे तक बैठकर उसे बनाया है मैंने। सर मुस्कुरा दिए और मुझे शाबाशी देकर भेज दिया।
मेरी सभी सहपाठियों को एवम मेरी सभी सहेलियों को मेरा मॉडल और चार्ट बहुत पसंद आए और सभी ने उनके साथ ढेर सारे फोटो खिंचवाए। मैंने मज़ाक में कहा मेरा फ़ोटो भी तो लो मेरे मॉडल के साथ। वे सभी हंस पड़े और मेरा फ़ोटो लिया। फिर हमने कॉलेज गार्डन में और भी फ़ोटो खिंचवाए, क्योंकि वह कॉलेज में हमारा अखिरी दिन था। अतः इस प्रकार वह दिन मेरे लिए यादगार दिन बन गया।
Sachin dev
14-Dec-2022 04:17 PM
OSm
Reply
Swati Sharma
14-Dec-2022 09:18 PM
Thanks sir
Reply